Tuesday 14 July 2020

संदेश वाहक कबूतर

संदेशवाहक कबूतर प्राप्तकर्ता का पता कैसे खोज लेते थे। आज हम यही रहस्य की बात जानेंगे।
आपने कई बार कहानियों में सुना होगा, इतिहास की किताबों में पढ़ा होगा और कई बार फिल्मों में भी देखा होगा की कबूतर को संदेशवाहक के रूप में उपयोग किया जाता था। कबूतर किसी संदेश को या संकेत को बड़ी आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाते थे। कहते है की जब तक डाक विभाग स्थापित नहीं हुआ तब तक राजा- महाराजा यह तक की अंग्रेज अधिकारी भी संदेश पहुंचाने के लिए कबूतर का उपयोग किया करते थे। सवाल यह है कि एक कबूतर चिट्ठी या संदेश के प्राप्तकर्ता का पता कैसे खोज लेता था। क्या ये दूसरे कबूतर से पूछकर कन्फर्म किया करता था या फिर उसे भेजने वाला उसके का में कोई विशेष किस्म का मंत्र फूंक देता था।
तो बात ये है कि कबूतर में इंसानों कि तरह लैंडमार्क पहचान ने की क्षमता होती है लेकिन फीर भी सभी कबूतर संदेशवाहक नहीं होते। होमिंग पिजन या रॉक पिजन को ही संदेशवाहक के रूप में उपयोग किया जाता था। क्योंकि रॉक पिजन में ही रास्तों को समजने के लिए खास मेगनेटोरिसेपशन स्किल पाई जाती है।
मग्नेटोरी सिपशन स्किल पक्षियों में पाया जाने वाला विशेष गुण है। जिसके कारण उन्हें इस बात का पता लग जाता था कि वे पृथ्वी के किस मैगनेटिक फिल्ड में ही ।
रॉक पिजन इसमें सबसे कुशल पक्षी माना जाता है। 
मजेदार रहस्य की बात ये है की इतनी जबरदस्त स्किल होने के बावजूद कोई भी कबूतर किसी जगह को खोजने की क्षमता नहीं रखता। दरअसल कबूतर में एक और विशेष गुण होता है। पालतू कबूतर को आप आसपास के किसी भी इलाके में के जाकर स्वतंत्र कर देंगे तो वह वापस अपने घर ही लौट आएगा। वह अपने प्रथम पालक के पता कभी नहीं भूलता।
राजा - महाराजा अपने मित्र राजा - महाराजा ओके पालतू कबूतर मंगवा लिया करते थे। ताकि समय आने पर संदेश के साथ उन्हें वापस भेजा जा सके। तो समझ आया जो कबूतर संदेश ले जाया करता था वह कबूतर सेंडर का नहीं रिसीवर का पालतू कबूतर होता था।
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1 comment:

  1. Nice you have studded very much about kabutar 👌👌🖕

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